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कविता / रवीन्द्रनाथ ठाकुर
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|रचनाकार=रवीन्द्रनाथ ठाकुर
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वे तुम्हें
संपदा का समुद्र कहते हैं
कि तुम्हारी अंधेरी गहराईयों में
या होगा वह खजाना।
'''
अंग्रेजी से अनुवाद - कुमार मुकुल
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