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आवरण कथा / राजुल मेहरोत्रा
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03:48, 30 जून 2009
रक्त सने हाथोँ मे कुछ सन्धिपत्र जैसा
आश्वासनो का हल्ला हो गया गगन मे
टाकेँगे
चाँद
चांद
तारे हर एक के क़फ़न मे
सत्ता सजा रही है बाज़ार क्रांतियोँ का
वर्तमान पुस्तक की यह आवरण कथा है।
(रचनाकाल : )
</Poem>
अनिल जनविजय
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