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{{KKRachna
|रचनाकार=शाद अज़ीमाबादी
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कहाँ है उसका कूचा, कौन है वह? क्या खबर क़ासिद!
पर इतना जानते हैं, नाम है आशिक़नवाज़ उसका॥

न छोडे़ जुस्तजूये-यार ख़िज्रे-शौक से कह दो।
किसी दिन खुद लगा लेगी, पता उम्रेदराज़ उसका॥

अबस<ref>व्यर्थ</ref> शिकवा है मय-सी चीज़ का, वाइज़ है क्यों दुश्मन।
बसीरत<ref>दृष्टि</ref> जब नहीं, बेशक बजा है अहतराज़ उसका॥

अब इसका ज़िक्र क्या क़ासिद पै जो गुज़री गुज़रने दो।
न कहना इस ख़बर को ‘शाद’ से दिल है गुदाज़<ref>द्रवित</ref> उसका॥
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