Changes

वो रात / अभिज्ञात

16 bytes added, 17:33, 4 नवम्बर 2009
|रचनाकार=अभिज्ञात
}}
{{KKCatGhazal}}<poem>बातों बातों में जो ढली होगी
वो रात कितनी मनचली होगी
है तेरा ज़िक्र तो यकीं है मुझे
मेरे बारें में बात भी होगी
 
</poem>
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
19,164
edits