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जड़ बूड़ति नाव सोहाती मिली बिरहा कतलान की काती टुकड़े-टुकड़े दिन बीता, धज्जी-धज्जी रात मिली।<br>कहि तोष सबै सुख पाती मिली सजनी पियपानि की पाती मिली।जितना-जितना आँचल था, उतनी ही सौगात मिली।। <br>
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कविता कोश में [[तोषमीना कुमारी]]
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