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07:45, 10 जुलाई 2009
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|रचनाकार=श्याम सुन्दर अग्रवाल
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[[Category:बाल-कविताएँ]]
<poem>
सूरज दादा रहम करो, <br>
गरमी को कुछ कम करो।<br>
सुबह सवेरे आते हो, <br>
बहुत देर से जाते हो।<br>
इतना न तुम काम करो, <br>
थोड़ा तो आराम करो।<br>
धरती खूब तपाते हो, <br>
बच्चों को झुलसाते हो।<br>
खूब पसीना आता है, <br>
काम नहीं हो पाता है।<br>
न ही पाते हैं हम खेल, <br>
घर में ही बन गई है जेल।<br>
पंखा, कूलर, ठंडा पानी, <br>
देते है थोड़ी ज़िंदगानी।<br>
चली जाए जब बिजली रानी, <br>
सबको याद आती है नानी।<br>
लू ने किया हाल-बेहाल, <br>
सूख गए सब पोखर-ताल।<br>
नहीं मिलता पीने को पानी, <br>
सुस्त हो गई चिड़िया रानी।<br>
बच्चों से थोड़ा प्यार करो, <br>
छुट्टियाँ न बेकार करो।<br>
विनती है तुम सेंक घटाओ, <br>
चंदा-मामा से बन जाओ।<br>
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