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{{KKRachna
|रचनाकार=श्याम सुन्दर अग्रवाल
}}
[[Category:बाल-कविताएँ]]
<poem>


सूरज दादा रहम करो, <br>
गरमी को कुछ कम करो।<br>

सुबह सवेरे आते हो, <br>

बहुत देर से जाते हो।<br>

इतना न तुम काम करो, <br>

थोड़ा तो आराम करो।<br>

धरती खूब तपाते हो, <br>

बच्चों को झुलसाते हो।<br>

खूब पसीना आता है, <br>

काम नहीं हो पाता है।<br>

न ही पाते हैं हम खेल, <br>

घर में ही बन गई है जेल।<br>

पंखा, कूलर, ठंडा पानी, <br>

देते है थोड़ी ज़िंदगानी।<br>

चली जाए जब बिजली रानी, <br>

सबको याद आती है नानी।<br>

लू ने किया हाल-बेहाल, <br>

सूख गए सब पोखर-ताल।<br>

नहीं मिलता पीने को पानी, <br>

सुस्त हो गई चिड़िया रानी।<br>

बच्चों से थोड़ा प्यार करो, <br>

छुट्टियाँ न बेकार करो।<br>

विनती है तुम सेंक घटाओ, <br>

चंदा-मामा से बन जाओ।<br>

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