गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
पत्थर की दीवार / अली सरदार जाफ़री
6 bytes removed
,
04:32, 12 जुलाई 2009
पत्थरों की अँगड़ाई
पत्थरों के पंजों में
आहनी<ref>लोहे की<
/
ref>सलाख़ें हैं
और इन सलाख़ों में
सूलियों के साये में
इन्क़िलाब पलता है
तीरगी<ref>अँधेरे</ref>
१०
के काँटों पर
आफ़ताब चलता है
पत्थरों के सीने से
द्विजेन्द्र द्विज
Mover, Uploader
4,005
edits