गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
इश्क़ ने फ़रहाद के परदे में... / आसी ग़ाज़ीपुरी
108 bytes added
,
12:59, 20 जुलाई 2009
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार= आसी ग़ाज़ीपुरी
}}
<poem>
इश्क़ ने फ़रहाद के परदे में पाया इन्तक़ाम।
एक मुद्दत से हमारा ख़ून दामनगीर था॥
आज अराम से सोना मेरी तक़दीर में था॥
</poem>
Pratishtha
KKSahayogi,
प्रशासक
,
प्रबंधक
6,240
edits