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मौन का हाथ / अरुणा राय
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19:38, 23 जुलाई 2009
<poem>
पुकारने पर
प्रतिउत्तरर
प्रति-उत्तर
ना मिले
तो बाहर नहीं भटकूंगी अब
बल्कि लौटूंगी
हृदयांधकार में बैठा
जहां
जहाँ
जल रह होगा तू
वहीं
तेरी मद्धिम
आंच
आँच
में बैठ
गहूंगी
तेरे मौन का हाथ।
</poem>
अनिल जनविजय
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