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जेनी के लिए / कार्ल मार्क्स
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08:04, 25 जुलाई 2009
::मानो कोई विस्मयजनक अलौकिक सत्तानुभूति
मानो राग कोई स्वर्ण-तारों के सितार पर !
'''रचनाकाल : 1836'''
</poem>
अनिल जनविजय
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