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गणितीय चतुराई / कार्ल मार्क्स
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08:06, 25 जुलाई 2009
जैसे आप खड़े नहीं हो सकते सिर के बल
बैठे चूतड़ों पर।
'''रचनाकाल : 1837'''
</poem>
अनिल जनविजय
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