930 bytes added,
13:36, 26 जुलाई 2009 {KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार= रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'
}}
[[Category: मुक्तक]]
<poem>
'''मैं उजाला हूँ'''
मैं उजाला हूँ ,उजाला ही रहूँगा ।
अँधेरी गलियों में ज्योति-सा बहूँगा ।
चाँद मुझे गह लेंगे कुछ पल के लिए ,
पर मैं रोशनी की कहानी कहूँगा ॥
उपहार
पल जो भी मिले हैं मुझे उपहार में ।
उनको लुटा दूँगा मैं सिर्फ़ प्यार में ।
नफ़रत की फ़सलें उगाई हैं जिसने;
मिलेगा उसे क्या अब इस संसार में ॥
</Poem>