Changes

नया पृष्ठ: <poem> सच बयानी की जो अपनी आदत है उनके आईन में बग़ावत है। आम जन हैं अगर ...
<poem>
सच बयानी की जो अपनी आदत है
उनके आईन में बग़ावत है।

आम जन हैं अगर हताश यहाँ
ये किसी ख़ास की शरारत है

ज़िन्दगी हर क़दम पे लगता है
तू किसी गैर की अमानत है

एड़ियों को कहाँ वे घिसते हैं
जिनका हर गाम पर ही स्वागत है

रंग लाएगी मौत भी उसकी
ज़िन्दगी जिसकी एक लानत एक लानत है

सो रहा तो लुटेगा रोएगा
प्रेम फल पाएगा जो जागत है
</poem>
Mover, Uploader
2,672
edits