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18:38, 30 जुलाई 2009 <poem>
हाथ आई क्या व्यवस्था देखिए
आदमी पशुओं से सस्ता देखिए
सिर्फ काफी ही नहीं है दौड़ना
कौन सा पकड़ा है रस्ता देखिए
क्या हुआ है हाल इस तालीम से
बालकों का भारी बस्ता देखिए
मोड़ थे इस में कहां इतने घुमाव
भूलना फिर भी यह रस्ता देखिए
इन तजुर्बों से ये मंहंगी धातुएं
हों कहीं न जाएं जस्ता देखिए
पावन पुराने ढाई अक्षर प्रेम का
हो न जाए हाल खस्ता देखिए
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