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भक्ति-गंगा / गुलाब खंडेलवाल

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{{KKPustakनहीं यदि तू भी दया करेगा|चित्र=|नाम=तो फिर इस जलते जीवन की पीड़ा कौन हरेगा!|रचनाकार=[[गुलाब खंडेलवाल]]|भाषा=|विषय=काम-क्रोध-मद-लोभ-मोह हैं प्रतिपद घेरा डाले|शैली=[[]]|विविध=मुझको भटकाने के तूने कितने मार्ग निकाले}}[[Category:]]सहज स्वभाव यही शिशु का तो, तिरछे पाँव धरेगा[[Category:]][[Category:]][[Category:]]इन्द्र-कुबेर-मरुत-पावक-जल तेरे जड़ अनुचर हैं भले-बुरे के ज्ञान-रहित, नियमों के पालक भर हैं इनका बस चलते तो कोई पापी नहीं तरेगा  तेरी क्षमा बड़ी है मेरे कर्मों के बंधन से शाप-ताप सब धुल जायेंगे अश्रु-सजल आनन से जब तू मेरा क्रंदन सुनकर धरती पर उतरेगा  नहीं यदि तू भी दया करेगा तो फिर इस जलते जीवन की पीड़ा कौन हरेगा![[Category:]]
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