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कब तक दिल की ख़ैर मनायें / फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
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00:59, 10 अगस्त 2009
किसने वस्ल का सूरज देखा, किस पर हिज्र की रात ढली<br>
ग़े
सुओं
ग़ेसुओं
वाले कौन थे, क्या थे, उन को क्या जतलाओगे<br><br>
'फ़ैज़' दिलों के भाग में है घर बसना भी लुट जाना भी<br>
तुम उस हुस्न के लुत्फ़-ओ-करम पर कितने दिन इतराओगे <br><br>
द्विजेन्द्र द्विज
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