गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
तेरी आँखें तेरी ठहरी हुई ग़मगीन-सी आँखें / गुलज़ार
No change in size
,
09:40, 10 अगस्त 2009
तेरी आँखें तेरी ठहरी हुई ग़मगीन-सी आँखें<BR>
तेरी
आँखें
आँखों
से ही तख़लीक़ हुई है सच्ची <BR>तेरी आँखों से ही तख़लीक़ हुई है
हे
ये
हयात<BR><BR>
तेरी आँखों से ही खुलते हैं, सवेरों के उफूक़<BR>
सम्यक
KKSahayogi, Mover, Uploader,
प्रशासक
,
सदस्य जाँच
,
प्रबंधक
,
widget editor
3,794
edits