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रंग लगे अंग / जानकीवल्लभ शास्त्री
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12:42, 14 अगस्त 2009
<poem>
रंग लाए अंग चम्पई
:
::नई लता के
धड़कन बन तरु को
:
::अपराधिन-सी ताके
फड़क रही थी कोंपल
आँखुओं से ढक के
अनिल जनविजय
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