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त्रिवेणी बह निकली / गुलज़ार
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16:25, 14 अगस्त 2009
तीसरा मिसरा कहीं पहले दो मिसरों में गुप्त है, छुपा हुआ है ।
१९७२/७३ में जब कमलेश्वर जी सारिका के एडीटर थे
,
तब त्रिवेणियाँ सारिका में छपती रहीं
और अब –
त्रिवेणी को बालिग़
होते
-
होते सत्ताईस
-
अट्ठाईस साल लग गए ।
</poem>
Shrddha
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