|रचनाकार=नोमान शौक़
}}
[[Category:नज़्म]]
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प्यार पनपता है मन में
अपने आप
बिना किसी प्रयत्न के
जिस तरह जंगल में उग आते हैं
असंख्य छोटे-छोटे पौधे
प्यार पनपता लेकिन घृणातैयार की जाती है मन में <br />कृत्रिम विधियों सेअपने आप<br />बिना किसी प्रयत्न के<br />घिनावनी प्रयोगशाला में जिस और परोस दी जाती हैस्वादिष्ट व्यंजनों की तरह जंगल में उग आते हैं<br />असंख्य छोटे-छोटे पौधे<br />ज़बरदस्ती खाने की मेज़ पर(हो सकता है उबकाई आ जाएआपको मेरी कविता पढ़ते समय)
लेकिन घृणा<br />तैयार की जाती है कृत्रिम विधियों से<br /> किसी घिनावनी प्रयोगशाला में<br /> और परोस दी जाती है<br />स्वादिष्ट व्यंजनों की तरह<br />ज़बरदस्ती खाने की मेज़ पर<br />(हो सकता है उबकाई आ जाए<br />आपको मेरी कविता पढ़ते समय)<br /> लेकिन यक़ीन कीजिए<br />इन्सानों के भुने हुए माँस<br />औरतों के कटे हुए स्तन<br />और बच्चों की टूटी हुई पसलियाँ<br />बड़े ही चाव से खाते हैं कुछ लोग<br />छुरी-काँटे से<br />चटख़ारे ले लेकर<br />और पूछते हैं<br />कब होगी अगली दावत<br />और कहाँ !<br /poem>