Changes

नीति के दोहे / कबीर

3 bytes removed, 12:47, 16 अगस्त 2009
बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय।
जो दिल मन खोजा अपना, मुझ-सा बुरा न कोय।।