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एल्सा की आँखें / आरागों
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16:17, 19 अगस्त 2009
<poem>
'''एल्सा की आँखें'''
इन तेरी गहरी आँखों में मैं प्यास बुझाने आया हूँ
इनमें आए हैं निखिल सूर्य झिलमिल करने
अनिल जनविजय
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