गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
ॐ जय जगदीश हरे / आरती
194 bytes added
,
12:28, 21 अगस्त 2009
विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा ।<br>
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा ॥
तन मन धन सब है तेरा, स्वामी सब कुछ है तेरा <br>
तेरा तुझको अरपन, क्या लागे मेरा!
Shishirmit
5
edits