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क्यों / कीर्ति चौधरी
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15:32, 21 अगस्त 2009
ऐसे सूनेपन को
हो कितना ही गहरा नाता,
भरी-पूरी दुनिया में भी मन ख़ुद अपना बोझा
ढ़ोता
ढोता
है।
ऐसा क्यों होता है?
ऐसा क्यों होता है?
अनिल जनविजय
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