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18:39, 21 अगस्त 2009 {{KKGlobal}}
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| रचनाकार=ओमप्रकाश सारस्वत
| संग्रह=शब्दों के संपुट में / ओमप्रकाश सारस्वत
}}
<poem>मुझे
हिन्दुस्तान के अन्दर
गोरखालैंड दे दो
मुझे हिन्दुस्तान के अन्दर
खालीस्तान दे दो
मुझे हिन्दुस्तान के अन्दर
पाकिस्तान दे दो
मुझे हिन्दुस्तान के अन्दर
रूस की बोली
अमेरिका की वॉयस
और चीन की ज़बान दे दो
क्योंकि मैं हिन्दुस्तान का
नागरिक हूँ
यहाँ हर नागरिक को
कुछ भी माँगने का अधिकार है
(केवल राष्ट्र प्रेम और नेताओं)
की गद्दियों को छोड़कर
फिर मैं
खाली के 'स्तान' ही तो
माँग रहा हूँ
मैं कौन-सा
पूरा हिन्दुस्तान माँ रहा हूँ।
</poem>