नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सरोज परमार |संग्रह= घर सुख और आदमी / सरोज परमार }} [[C...
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{{KKRachna
|रचनाकार=सरोज परमार
|संग्रह= घर सुख और आदमी / सरोज परमार
}}
[[Category:कविता]]
<poem>सागर को रौंदता
आकाश में कोंधता
आदमी
नक्षत्रों से जुड़ रहा है
पर
धरती से उखड़ रहा है।</poem>