Changes

नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हरकीरत हकीर }} <poem>(१) बरसों पहले जो तुम इक धूप का टु...
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=हरकीरत हकीर
}}
<poem>(१)

बरसों पहले
जो तुम
इक धूप का टुकड़ा
मेरे आँगन में
रोप गए थे
अब उसमें
मुहब्बत के बीज
उगने लगे हैं
शायद अबके
नागफनी खिल उठे .......!!


(२)

आज
न जाने क्या बात हुई
छितरे बादल
आवारा टुकडियों में
चाँद से
अटखेलियाँ करते रहे
मैंने रोशनदान से झाँका
रात भी करवट बदल
सोने का बहाना
कर रही थी ......!!


(३)

आज ये
दोपहर की
लम्बी सांसें
न जाने क्यों
उम्मीद के धागे
बुनने लगीं है
रब्बा....!
वह लाल दुपट्टा आज भी कहीं
मेरे पास पड़ा है ....!!</poem>
Mover, Uploader
2,672
edits