गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
वृक्ष / केशव
7 bytes added
,
08:32, 22 अगस्त 2009
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=केशव
|संग्रह=
|संग्रह=धरती होने का सुख / केशव
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
भले ही न बचा हो
देने के बाद अपना सर्वस्व
मनुष्य के लिए फल
पशु के
लिए
चारा
पथिक के लिए छाया
बेघर के लिए एक घर
अनिल जनविजय
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,693
edits