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वृक्ष / केशव
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|रचनाकार=केशव
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|संग्रह=धरती होने का सुख / केशव
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<poem>
भले ही न बचा हो
देने के बाद अपना सर्वस्व
मनुष्य के लिए फल
पशु के
लिए
चारा
पथिक के लिए छाया
बेघर के लिए एक घर
अनिल जनविजय
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