Changes

नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=केशव |संग्रह=अलगाव / केशव }} {{KKCatKavita}} <poem>ख़ामोश आदमी क...
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=केशव
|संग्रह=अलगाव / केशव
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>ख़ामोश आदमी का चेहरा
बहुत ख़तरनाक
बारूद की तरह
बोलेगा तो फटेगा
ख़ामोश आदमी
एक ज्वालामुखी
ख़ामोश आदमी
अपने भीतर छिपाए रखता
सभी दुख
सभी दर्द
अवसाद
अपमान
कहेगा
तो दूर तक कौंध जाएगा।

ख़ामोश आदमी
गहरा काला बादल
बरसेगा तो तोड़ देगा तटबन्ध
ख़मोश आदमी को चाहिए
माटी की सौंधी ख़ुश्बू
गुनगुनी धूप।</poem>
Mover, Uploader
2,672
edits