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नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुदर्शन वशिष्ठ |संग्रह=सिंदूरी साँझ और ख़ामोश ...
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{{KKRachna
|रचनाकार=सुदर्शन वशिष्ठ
|संग्रह=सिंदूरी साँझ और ख़ामोश आदमी / सुदर्शन वशिष्ठ
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<poem>बहुत कठिन है
अस्पताल में अकेला होना।

कुछ क्षणों में
कुछ जगहों में
चाहता है आदमी साथ
अस्पताल उनमें एक हैं।</poem>
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