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20:58, 22 अगस्त 2009 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=सुदर्शन वशिष्ठ
|संग्रह=सिंदूरी साँझ और ख़ामोश आदमी / सुदर्शन वशिष्ठ
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>उनके आने से पहले
पहुँच जाती है ख़बर
वे आ रहे हैं
हटो-हटो।
आते हैं वे
बाढ़ की तरह
तटबँध तोड़ते।
उनके आने से पहले
बँधती आशाएँ
आते सपने
जाने पर उन्नींदी आँखों में
आती किरकिरी।
उनका आना अच्छा
न जाना
रहता है फिर भी इंतज़ार।
</poem>