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21:16, 22 अगस्त 2009 व{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=सुदर्शन वशिष्ठ
|संग्रह=सिंदूरी साँझ और ख़ामोश आदमी / सुदर्शन वशिष्ठ
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>माल रोड़ पर बंद हैं वाहन
नहीं इजाजत किसी को सवारी पर आने की।
वाहन आए तो
होगा रोगी वाहन।
पहले आती थी यहाँ
गोरों की सवारी रिक्शे पर
या बड़े लाट की गाड़ी
तब भी थी मनाही
अब भी है मनाही।
आती है अब भी कभी
चीनी जूते खरीदने
महिला महामहिम की सवारी
या किसी सिरफिरे सेनानायक की
या किसी ज़िद्दी नेता की।
चाहे सवारी आ जाए माल पर
सत्ता के ज़ोर
समझा यही जाता
रोगी हैं इस में बैठे लोग।
</poem>