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ये सुरमई फ़ज़ाओं की कुछ कुनमनाहटेंकुनमुनाहटें
मिलती हैं मुझको पिछले पहर तेरी आहटें।
चश्मे -सियह तबस्सुमे-पिनहाँ लिये हुये
पौ फूटने से पहले उफ़ुक़ की उदाहटें।
 
 
</poem>
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