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04:44, 26 अगस्त 2009 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=जगदीश रावतानी आनंदम
|संग्रह=
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<poem>
मेरे पास था एक शक्ति शाली गुलेल
दूर तक पत्थर फेंकने का खेल रहा था खेल
खेलते खेलते महारत हासिल कर बहुत मैं ऐंठा
प्रकृति से हुआ दण्डित जब ओज़ोन लेयर में छेद कर बेठा
</poem>