Changes

पहली आवाज़ें / सत्यपाल सहगल

2,663 bytes added, 12:04, 28 अगस्त 2009
नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सत्यपाल सहगल |संग्रह=कई चीज़ें / सत्यपाल '''1''' ये प...
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=सत्यपाल सहगल
|संग्रह=कई चीज़ें / सत्यपाल
'''1'''
ये पहली आवाज़े हैं और इनकी एक अलग दुनिया है
ये भूमिका नहीं है न ये आरम्भ ये अपने आप में एक अलग
द्वीप हैं
हम समझते हैं ये दिन आरम्भ होने के संकेत हैं
और अभी ये बदल जाएंगी शोर में और एक लेकर आयेंगी भीड़
ऐसा लगता है पर ऐसा है नहीं
दरअसल ये वो आवाज़ें हैं जो जाती हुई रात को देखने के
लिए निकलती हैं
वे खुद कहाँ जाती हैं
यह भी एक सवाल है मेरे लिए
ये पहली आवाज़ें हैं जो अज्ञात ब्रह्माण्ड की तरह
रहस्यपूर्ण हैं

'''2'''

यह पहली आवाज़ें हैं
बाद की आवाज़ों से पहले
अकेली यात्राओं पर
इन्हीं के पीछे खड़ी होंगी सामूहिक आवाज़ें
फिर एक भरा-पूरा संसार होगा मनुष्यों का
चीज़ों के बीच,उनमें से गुज़रता,उन्हें तोड़ता
उनसे मार खाता और उन्हें छोड़ता
फिर शाम होगी अपनी शाश्वतता के साथ
चीज़ों और मनुष्यों पर पड़ने लगेगा पर्दा
रोशनियाँ की जायेंगी और उनसे तैयार किया जायेगा
दिन का विकल्प
फिर सब कुछ रुकेगा,रुक जायेगा कुछ देर क्ए लिए
फिर आयेंगी यह पहली आवाजें
रास्तअ बुहारती हुईं नए दिन,मनुष्य और चीज़ों के रेले का
मैं जानता हूँ इन्हें
मुझे इनसे प्यार है
मैं हूँ इनका कवि,पहला कवि

}}
<poem></poem>
Mover, Uploader
2,672
edits