<poem>
तस्वीर बनाता हूँ तस्वीर नहीं बनती
एक ख्वाब ख़्वाब सा देखा है ताबीर नहीं बनती
बेदर्द मुहब्बत का इतना -सा है अफसाना अफ़साना
नज़रों से मिली नज़रें मैं हो गया दीवाना
अब दिल के बहलने की तदबीर नहीं बनती
दम भर के लिए मेरी दुनिया में चले आओ
तरसी हुई आँखों को फिर शक्ल दिखा जाओ
मुझसे तो मेरी बिगडी बिगड़ी तक़दीर नहीं बनती
</poem>