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19:38, 31 अगस्त 2009 {KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=सुदर्शन वशिष्ठ
|संग्रह=अनकहा / सुदर्शन वशिष्ठ
}}
<poem>चलो कोई बात नहीं
प्रारब्ध में जो है मिलेगा
कहा सब ने।
उदास हुए सब के चेहरे
नर्सें गुमसुम
लौटा दिए लड्डू
दोस्तों ने नहीं माँगी पार्टी
पुरोहित ने नहीं पूछा टाईम।
पूछा डॉकटरनी नें
पीड़ा में जन्म देने के बाद
कोख़ टटोलते हुए
क्या पहला ईशू है.....
डोंट वरी</poem>