{{KKCatGhazal}}
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'''1.
तुझे कभी चैन न आए इतना बचैन कर दूंगा
मेरी नींदों को हवाओं में घोलने वाले
तेरी रग़-रग़ में अपनी तड़प मैं छोड़ दूंगा।
'''(रचनाकाल: 16.09.2002)
'''2.
मय्यतों के हुजूम में एक सवाल रखता हूँ
सदियों से पड़ा हूँ यहाँ बिना जुम्बिश के
कोई फूँकेगा मुझमें साँसे ये आस रखता हूँ।
(रचनाकाल: 18.07.2002)
'''रचनाकाल: 18.07.2002 3.
आज खा लेने दे जी भर कर
मेरे पडौ़स में एक
खूबसूरत चारागर है।
(रचनाकाल: 18.07.2002)
'''रचनाकाल: 18.07.2002 4.
कभी उलझ गए कभी सुलझ गए
औरों जैसे जीने के तरीके
सीखने से भी हमें न आए।
(रचनाकाल: 21.07.2002)
'''रचनाकाल: 21.07.2002 5.
वो जो दिखने में बहुत परिशाँ से हैं
मौहलत नहीं ज़रा उन्हें ख़ुद से मिलने की भी
ऐसे उलझे-उलझे से मेरे सरकार वो हैं।
'''(रचनाकाल: 31.08.2002}
'''6.
तेरी तस्वीर की ज़रुरत नहीं मुझको
फ़िज़ायें लाती हैं हर दम पैगाम तेरा
तेरी खुशबू भी मुझे अब नज़र आती है।
(रचनाकाल: 24.08.2002)
'''रचनाकाल: 24.08.2002 7.
सुलगते ख़्वाबों को दहकाए हुए रखना
मुसाफ़िर हूँ अकेला इस लम्बे सफ़र में
गर्म साँसों से रहगुज़र सजाए रखना।
'''(रचनाकाल: 14.09.2002)
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