गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
क्षणिकाएँ-1 / शमशाद इलाही अंसारी
3 bytes added
,
09:27, 1 सितम्बर 2009
'''1.
तुझे कभी चैन न आए इतना
बचैन
बेचैन
कर दूंगा
तेरे बदन में अपने जिस्म का रेज़ा रेज़ा भर दूंगा,
मेरी नींदों को हवाओं में घोलने वाले
अनिल जनविजय
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,693
edits