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19:34, 2 सितम्बर 2009 सुनता है तानाशाह
टैंकों की गरगराहट में
संगीत की धुन
फेफड़े को तरोताजा कर जाती है
बारुदी धुएँ
उन्हें नींद लाती है
धमाकों की आवाज
तानाशाह खाता है
गाता है
और मुस्कुराता है
तानाशाह जब मुस्कुराता है
लोग जुट जाते है
मानचित्रों पर
किसी तिब्बत की तलाश में !
--अरविन्द श्रीवास्तव १९:३४, २ सितम्बर २००९ (UTC)ARVIND SRIVASTAVA[http://www.janshabd.blogspot.com कड़ी शीर्षक]