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क्यों तेरे ग़म-ए-हिज्र में / फ़िराक़ गोरखपुरी
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02:18, 4 सितम्बर 2009
दिल दर्द से ख़ाली हो मगर नींद न आए
शायर हैं फ़िराक़ आप बड़े पाए के<ref>धुरंधर
<
/ref> लेकिन
रक्खा है अजब नाम, कि जो रास न आए
</poem>
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द्विजेन्द्र द्विज
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