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मरने की फुर्सत / अनामिका

5 bytes removed, 20:00, 5 सितम्बर 2009
{{KKRachna
|रचनाकार=अनामिका
|संग्रह=दूब-धान / अनामिका
}}
{{KKCatKavita‎}}<poem>'''(एक रेड इण्डियन लोकगीत के आधार पर पल्लवित)<br><br>'''
ईसा मसीह<br>औरत नहीं थे<br>वरना मासिक धर्म<br>ग्यारह बरस की उमर से<br>उनको ठिठकाए ही रखता<br>देवालय के बाहर!<br>वेथलेहम और यरूजलम के बीच<br>कठिन सफर में उनके<br>हो जाते कई तो बलात्कार<br>और उनके दुधमुँहे बच्चे<br>चालीस दिन और चालीस रातें<br>जब काटते सडक पर,<br>भूख से बिलबिलाकर मरते<br>एक-एक कर<br>ईसा को फुर्सत नहीं मिलती<br>सूली पर चढ जाने की भी।<br>मरने की फुर्सत भी<br>कहाँ मिली सीता को<br>लव-कुश के<br>तीरों के<br>
लक्ष्य भेद तक?
</poem>
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