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उजाड़ बन के कुछ आसार से चमन में मिले / फ़िराक़ गोरखपुरी
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17:31, 8 सितम्बर 2009
जो चन्द जाम किसी बादा-ए-कुहन के मिले।
बज़ोरे - तबा हर इक तीर को कमान किया
हुये हैं झुक के वो रुख़्सत, जो मुझसे तन के मिले।
कमन्दे-फ़िक्रे - रसा में हरीफ़ मान गये
वो पेंचो-ताब तेरी ज़ुल्फ़े-पुर्शिकन के मिले।
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Amitabh
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