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साथी सो ना कर कुछ बात / हरिवंशराय बच्चन
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<poem>
साथी सो न क्रर कुछ बात
पूर्ण कर दे वह कहानी
जो शुरू की थी सुनानी
आदि जिसका हर निशा में
अन्त चिर अज्ञात
साथी सो न कर कुछ बात
</poem>
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