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मुझे न मिलता था मदिरालय, मुझे न मिलता था प्याला,<br>
मिलन हुआ, पर नहीं मिलनसुख लिखा हुआ था किस्मत में,<br>
मैं अब जमकर बैठ गया हँूहूँ, घूम रही है मधुशाला।।११८।<br><br>
मैं मदिरालय के अंदर हूँ, मेरे हाथों में प्याला,<br>
प्याले में मदिरालय बिंिबत बिंबित करनेवाली है हाला,<br>
इस उधेड़-बुन में ही मेरा सारा जीवन बीत गया -<br>
मैं मधुशाला के अंदर या मेरे अंदर मधुशाला!।११९।<br><br>
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