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हाइकु / ज्ञानेन्द्रपति
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18:51, 11 सितम्बर 2009
काला झींगुर
नाम दुलारी
दुखों की दुलारी है
जमादारिन
पनही नहीं
पाँव में, गले में
पगहा है भारी
मेघ बोझिल
मन भर मौसम
छूटा अकेला
</poem>
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