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10:46, 12 सितम्बर 2009 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=अवतार एनगिल
|संग्रह=मनखान आएगा /अवतार एनगिल
}}
<poem>इन रतनारे पर्वतों पर
साँझ की धूप के नन्हें टुकड़े
वापिस सूर्य की तरफ
भाग रहे हैं
धूप के टुकड़ों के संग़
दौड़ते-चलते
मैं मुक्त हो गया हूँ
मैं धूप हो गया हूँ
---सपना</poem>