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तुझे भूलने की दुआ करूँ तो दुआ में मेरी असर न हो <br><br>
मेरे बाज़ुओं में थकी थकी , अभी महव-ए-ख़्वाब है चाँदनी चांदनी<br>
न उठे सितारों की पालकी, अभी आहटों का गुज़र न हो <br><br>
ये ग़ज़ल कि जैसे हिरन की आँखों में पिछली रात की चाँदनी चांदनी<br>
न बुझे ख़राबे की रोशनी, कभी बेचराग़ ये घर न हो <br><br>