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12:55, 12 सितम्बर 2009 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=अवतार एनगिल
|संग्रह=अन्धे कहार / अवतार एनगिल
}}
<poem>हमारी बिल्ली बाहर धूप में सो रही है
मेरी मां सुबह से
लगातार
लगातार कपड़े धो रही है
********
वह चौके-बासन से निंबटकर
हाथ पोंछते हुए
उसके बिस्तर तक जाती है
और दो इस्पाती हथेलियों में
कैद हो जाती है
********
वह आदमी
जो हर पोस्टर पर छपा है
हर दीवार पर खुदा है
जो हज़ार बरसों से गुमशुदा है....।</poem>