|संग्रह=अन्धे कहार / अवतार एनगिल
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<poem>भैया टी.वी.देख रहे हैंपिता जी अखबार पढ़ रहे हैंदादी मां मन्दिर जा रही हैहमारी बिल्ली बाहर धूप में सो रही हैमेरी मां सुबह सेलगातार
लगातार
लगातार कपड़े धो रही है******** वह चौके-बासन से निंबटकर हाथ पोंछते हुएउसके बिस्तर तक जाती हैऔर दो इस्पाती हथेलियों मेंकैद हो जाती है******** वह आदमी जो हर पोस्टर पर छपा हैहर दीवार पर खुदा हैजो हज़ार बरसों से गुमशुदा है....।</poem>